Bigamy (व्दिविवाह) के लिये दण्ड

हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा- 17 मे Bigamy (व्दिविवाह) के लिये दण्ड का प्रावधान भारतीय दण्ड संहिता IPC-494 मे दिया गया है ।
जो कोई भी पति या पत्नी के जीवित होते हुए किसी ऐसी स्थिति में विवाह करेगा जिसमें पति या पत्नी के जीवनकाल में विवाह करना अमान्य होता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही आर्थिक दंड से दंडित किया जाएगा।

हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा-17 मे Bigamy (व्दिविवाह) के लिये पति अथवा पत्नी के जीवित रहते अगर कोई एक पक्ष पुनः शादी करता है, तो व्दिविवाह है, व्दिविवाह के कोई पक्ष पति अथवा पत्नी जिसने किसी दूसरे पक्ष को छुपाकर ऐसा कृत्य किया है तो वह भारतीय दण्ड संहिता की धारा-494 के अन्तर्गत दण्डनीय है एवंम् यह अपराध करने वाले पक्ष पर लगभग् 7 वर्ष व जुर्माना यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

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