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सीआरपीसी की धारा 110 | आभ्यासिक अपराधियों से सदाचार के लिए प्रतिभूति | CrPC Section- 110 in hindi| Security for good behaviour from habitual offenders.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 110 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 110 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 110 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 110 के अन्तर्गत जब किसी मामले में किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट को इत्तिला मिलती है, कि उसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर कोई ऐसा अभ्यासत: लुटेरा, गृहभेदक, चोर या कूटरचयिता है, चुराई हुई सम्पत्ति का, उसे चुराई हुई जानते हुए, अभ्यासतः प्रापक है,अभ्यासत: चोरों संरक्षा करता है या चोरों को संश्रय देता है या चुराई हुई सम्पत्ति को छिपाने या उसके व्ययन में सहायता देता है अथवा व्यपहरण, अपहरण, उद्दापन, छल या रिष्टि आदि का अपराध करता है, तो वह धारा 110 के अंतर्गत उस न्यायालय के अधिकारी को यह शक्ति होती है कि ऐसे अपराधियों से सदाचार के लिए प्रतिभूति ले सकते है।

किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट को इत्तिला मिलती है, कि उसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर कोई ऐसा व्यक्ति है जो लुटेरा, ग्रहभेदक, चुराई हुई संपत्ति, कूटरचित दस्तावेज, चोरों को संश्रय देना, अपहरण, छल इत्यादि का  दुष्प्रेरण करता है। CrPC की धारा 110 न्यायालय के अधिकारी को यह शक्ति होती है कि ऐसे अपराधियों से सदाचार के लिए प्रतिभूति ले सकते है।

सीआरपीसी की धारा 110 के अनुसार

आभ्यासिक अपराधियों से सदाचार के लिए प्रतिभूति-

जब किसी [कार्यपालक मजिस्ट्रेट] को यह इत्तिला मिलती है कि उसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर कोई ऐसा व्यक्ति है, जो-
(क) अभ्यासत: लुटेरा, गृहभेदक, चोर या कूटरचयिता है; अथवा
(ख) चुराई हुई सम्पत्ति का, उसे चुराई हुई जानते हुए, अभ्यासतः प्रापक है; अथवा
(ग) अभ्यासत: चोरों संरक्षा करता है या चोरों को संश्रय देता है या चुराई हुई सम्पत्ति को छिपाने या उसके व्ययन में सहायता देता है; अथवा
(घ) व्यपहरण, अपहरण, उद्दापन, छल या रिष्टि का अपराध या भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45 ) के अध्याय 12 के अधीन या उस संहिता की धारा 489क, धारा 489ख, धारा 489ग या धारा 489घ के अधीन दण्डनीय कोई अपराध अभ्यासत: करता है या करने का प्रयत्न करता है या करने का दुष्प्रेरण करता है; अथवा
(ङ) ऐसे अपराध अभ्यासतः करता है या करने का प्रयत्न करता है या करने का दुष्प्रेरण करता है, जिनमें परिशान्ति भंग समाहित है; अथवा
(च) कोई ऐसा अपराध अभ्यासतः करता है या करने का प्रयत्न करता है या करने का दुष्प्रेरण करता है जो
(i) निम्नलिखित अधिनियमों में से एक या अधिक के अधीन कोई अपराध है, अर्थात् :-
(क) औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 (1940 का 23 );
(ख) विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 (1973 का 46) ];
(ग) कर्मचारी भविष्य निधि [और कुटुम्ब पेंशन निधि] अधिनियम, 1952 (1952 का 19);
(घ) खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 (1954 का 37);
(ङ) आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 (1955 का 10);
(च) अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 (1955 का 22 );
(छ) सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 (1962 का 52) ;
(ज) विदेशियो विषयक अधिनियम, 1946.

Security for good behaviour from habitual offenders-
When an [Executive Magistrate] receives information that there is within his local jurisdiction a person who-
(a) is by habit a robber, house-breaker, thief, or forger, or
(b) is by habit a receiver of stolen property knowing the same to have been stolen, or
(c) habitually protects or harbours thieves, or aids in the concealment or disposal of stolen property, or
(d) habitually commits, or attempts to commit, or abets the commission of, the offence of kidnapping, abduction, extortion, cheating or mischief, or any offence punishable under Chapter XII of the Indian Penal Code (45 of 1860), or under Section 489-A, Section 489-B, Section 489-C or Section 489-D of that Code, or
(e) habitually commits, or attempts to commit, or abets the commission of, offences, involving a breach of the peace, or
(f) habitually commits, or attempts to commit, or abets the commission of
(i) any offence under one or more of the following Acts, namely :-
(a) the Drugs and Cosmetics Act, 1940 (23 of 1940);
(b) the Foreign Exchange Regulation Act, 1973 (46 of 1973);
(c) the Employees’ Provident Fund 4[and Family Pension Fund] Act, 1952 (19 of 1952);
(d) the Prevention of Food Adulteration Act, 1954 (37 of 1954);
(e) the Essential Commodities Act, 1955 (10 of 1955);
(f) the Untouchability (Offences) Act, 1955 (22 of 1955);
(g) the Customs Act, 1962 (52 of 1962) ;
(h) the Foreigners Act, 1946; or

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 110 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

1 thought on “सीआरपीसी की धारा 110 | आभ्यासिक अपराधियों से सदाचार के लिए प्रतिभूति | CrPC Section- 110 in hindi| Security for good behaviour from habitual offenders.”

  1. अगर महिला के ऊपर कई केस स्थानीय थाना सुजानगंज मे दर्ज है तो अभ्यासित महिला पर गुन्डा एक्ट की कार्यवाही से और 110 जी की कार्यवाही से पाबन्द हो सकती हैं कि नहीं

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