सीआरपीसी की धारा 483 | न्यायिक मजिस्ट्रेटों के न्यायालयों पर अधीक्षण का निरंतर प्रयोग करने का उच्च न्यायालय का कर्तव्य | CrPC Section- 483 in hindi| Duty of High Court to exercise continuous superintendence over Courts of Judicial Magistrates.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 483 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 483 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 483 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 483 के अन्तर्गत प्रत्येक उच्च न्यायालय अपने अधीनस्थ न्यायिक मजिस्ट्रेटों के न्यायालयों पर अपने अधीक्षण का प्रयोग इस प्रकार करेगा जिससे यह सुनिश्चित हो जाए कि ऐसे मजिस्ट्रेटों द्वारा मामलों का निपटारा शीघ्र और उचित रूप से किया जाता है।

सीआरपीसी की धारा 483 के अनुसार

न्यायिक मजिस्ट्रेटों के न्यायालयों पर अधीक्षण का निरंतर प्रयोग करने का उच्च न्यायालय का कर्तव्य-

प्रत्येक उच्च न्यायालय अपने अधीनस्थ न्यायिक मजिस्ट्रेटों के न्यायालयों पर अपने अधीक्षण का प्रयोग इस प्रकार करेगा जिससे यह सुनिश्चित हो जाए कि ऐसे मजिस्ट्रेटों द्वारा मामलों का निपटारा शीघ्र और उचित रूप से किया जाता है।

Duty of High Court to exercise continuous superintendence over Courts of Judicial Magistrates-
Every High Court shall so exercise its superintendence over the Courts of Judicial Magistrates subordinate to it as to ensure that there is an expeditious and proper disposal of cases by such Magistrates.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 483 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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