सीआरपीसी की धारा 87 | समन के स्थान पर या उसके अतिरिक्त वारण्ट का जारी किया जाना | CrPC Section- 87 in hindi| Issue of warrant in lieu of, or in addition to, summons.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 87 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 87 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 87 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 87 उन व्यक्तियों पर लागू होती है, जो न्यायालय किसी भी ऐसे मामले मे, जिसमें वह किसी व्यक्ति की हाजिर होने के लिये आबद्ध था लेकिन वह निश्चित तिथि अथवा फरार हो सकता है अथवा समन का पालन भी नही करेगा अथवा समन की तामीली होने के पश्चात् भी वह न्यायालय उपस्थित होने मे असमर्थ रहता है तो ही वह धारा 87 के अंतर्गत उस न्यायालय का पीठासीन अधिकारी, उस व्यक्ति पर जिसे उपस्थित होना था उपस्थित नहीं हुआ, गिरफ्तारी भी हो सकती है या उसके अतिरिक्त अन्य वारंट भी जारी हो सकते है।

जब भी किसी व्यक्ति को न्यायालय में निश्चित समय पर उपस्थित होना होता है, लेकिन वह निश्चित समय पर उपस्थित नहीं होता है अथवा समन की तामीली विधिवत् रूप से स्वीकर करने के पश्चात् भी, न्यायालय उपस्थित होने मे असमर्थ रहता है तो न्यायालय उसे CrPC की धारा 87 के अंतर्गत वारंट जारी करने के निर्देश दे सकती है या गिरफ्तार भी करने के निर्देश दे सकती है अथवा समन के स्थान पर या उसके अतिरिक्त वारण्ट भी जारी करने की शक्ति रखती है।

सीआरपीसी की धारा 87 के अनुसार

समन के स्थान पर या उसके अतिरिक्त वारण्ट का जारी किया जाना—

न्यायालय किसी भी ऐसे मामले में, जिसमें वह किसी व्यक्ति की हाजिरी के लिये समन जारी करने के लिए इस संहिता द्वारा सशक्त किया गया है, अपने कारणों को अभिलिखित करने के पश्चात्, उसकी गिरफ्तारी के लिए वारण्ट जारी कर सकता है-
(क) यदि या तो ऐसा समन जारी किए जाने के पूर्व या पश्चात् किन्तु उसकी हाजिरी के लिए नियत समय के पूर्व न्यायालय को यह विश्वास करने का कारण दिखाई पड़ता है कि वह फरार हो गया है या समन का पालन न करेगा; अथवा
(ख) यदि वह ऐसे समय पर हाजिर होने पर असफल रहता है और यह साबित कर दिया जाता है कि उस पर समन की तामील सम्यक् रूप से ऐसे समय में कर दी गई थी कि उसके तदनुसार हाजिर होने के लिए अवसर था और ऐसी असफलता के लिए कोई उचित प्रतिहेतु नहीं दिया जाता है।

Issue of warrant in lieu of, or in addition to, summons
A Court may, in any case in which it is empowered by this Code to issue a summons for the appearance of any person, issue, after recording its reasons in writing, a warrant for his arrest-
(a) if, either before the issue of such summons, or after the issue of the same but before the time fixed for his appearance, the Court sees reason to believe that he has absconded or will not obey the summons; or
(b) if at such time he fails to appear and the summons is proved to have been duly served in time to admit of his appearing in accordance therewith and no reasonable excuse is offered for such failure.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 87 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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