Hindu Marriage Act 14-15 (हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा- 14 और 15)

हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा- 14 के अन्तर्गत विवाह को एक वर्ष के भीतर तलाक देने के लिए कोई याचिका प्रस्तुत नही की जा सकती है । यह अधिनियम केवल यह बताता है कि एक वर्ष के भीतर हिन्दू विवाह भंग नही किया जा सकता है ।

हिन्दू विवाह अधिनियम के अन्तर्गत हिन्दू विवाह मे दोनो पक्षो के मध्य किसी बात के होते हुये भी जब तक अज्ञाप्ति व्दारा विवाह भंग लिये याचिका की तारीख जब तक कि उस विवाह की तारीख से अर्जी के उपस्थापन की तारीख तक एक वर्ष बीत न चुका हो, न्यायालय ऐसी याचिका को ग्रहण भी नही करेगा ।
विवाह की तारीख से एक वर्ष के अवसान से पूर्व विवाह-विच्छेद की याचिक पेश करने की इजाजत के लिये इस धारा के आधीन किसी आवेदन का निपटारा करने में न्यायालय उस विवाह से हुयी, किसी संतति के हितों और इस बात को भी क्या पक्षकारों के बीच उक्त एक वर्ष के अवसान से पूर्व मेल-मिलाप कोई युक्तियुक्त सम्भाव्यता है या नही, ध्यान में रखेंगा।

हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा- 15 के अन्तर्गत विवाह-विच्छेद के पश्चात् पक्षकार कब तक पुनः विवाह कर सकेंगे। हिन्दू विवाह अधिनियम के अन्तर्गत विवाह-विच्छेद की डिक्री प्राप्त होने के पश्चात् विवाह विघटित कर दिया गया हो अथवा डिक्री के विरूद्ध अपील दाखिल करने का कोई अधिकार न हो या अपील का ऐसा अधिकार हो, तो अपील करने के समय का कोई अपील उपस्थापित हुये बिना अवसान हो गया हो या अपील की गयी हो, किन्तु निरस्त कर दी गयी हो, तब विवाह के किसी पक्षकार के लिये पुनः विवाह करना विधिपूर्ण होगा ।

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