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आईपीसी की धारा 198 | प्रमाण पत्र को जिसका मिथ्या होना ज्ञात है, सच्चे के रूप में काम में लाना | IPC Section- 198 in hindi | Using as true a certificate known to be false.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 198 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 198? साथ ही हम आपको IPC की धारा 198 के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

IPC की धारा 198 का विवरण

भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 198 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। जो कोई किसी ऐसे प्रमाण पत्र को यह जानते हुये कि वह किसी तात्विक बात के सम्बन्ध में मिथ्या है, सच्चे प्रमाण-पत्र के रूप में भ्रष्टतापूर्वक उपयोग में लाएगा, या उपयोग में लाने का प्रयत्न करेगा, तो वह व्यक्ति धारा 198 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।

आईपीसी की धारा 198 के अनुसार-

प्रमाण पत्र को जिसका मिथ्या होना ज्ञात है, सच्चे के रूप में काम में लाना-

जो कोई किसी ऐसे प्रमाण पत्र को यह जानते हुये कि वह किसी तात्विक बात के सम्बन्ध में मिथ्या है, सच्चे प्रमाण-पत्र के रूप में भ्रष्टतापूर्वक उपयोग में लाएगा, या उपयोग में लाने का प्रयत्न करेगा, वह ऐसे दण्डित किया जायेगा, मानो उसने मिथ्या साक्ष्य दिया हो।

Using as true a certificate known to be false-
Whoever corruptly uses or attempts to use any such certificate as a true certificate, knowing the same to be false in any material point, shall be punished in the same manner as if he gave false evidence.

लागू अपराध

प्रमाणपत्र को जिसका तात्विक बात के संबंध में मिथ्या होना ज्ञात है, सच्चे प्रमाणपत्र के रूप में काम में लाना।
सजा- वही जो मिथ्या साक्ष्य देने या गढ़ने के लिए हैं। दंड या जुर्माना।
यह एक जमानतीय, गैर-संज्ञेय अपराध है और उसी न्यायालय द्वारा विचारणीय है जहां मिथ्या साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है।

जुर्माना/सजा (Fine/Punishment) का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 198 के अंतर्गत जो कोई किसी ऐसे प्रमाण पत्र को यह जानते हुये कि वह किसी तात्विक बात के सम्बन्ध में मिथ्या है, सच्चे प्रमाण-पत्र के रूप में भ्रष्टतापूर्वक उपयोग में लाएगा, या उपयोग में लाने का प्रयत्न करेगा तो मिथ्या साक्ष्य प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति वही जो उस अपराध के लिए हैं दंड या जुर्माने का भागीदार होगा।

जमानत (Bail) का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 198 अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में जमानतीय (Baileble) है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध जमानतीय होने के कारण जमानत आसानी से मिल जाती है।

अपराधसजाअपराध श्रेणीजमानतविचारणीय
प्रमाणपत्र को जिसका तात्विक बात के संबंध में मिथ्या होना ज्ञात है, सच्चे प्रमाणपत्र के रूप में काम में लाना।वही जो मिथ्या साक्ष्य देने या गढ़ने के लिए हैं। दंड या जुर्माना।गैर-संज्ञेयजमानतीयउसी न्यायालय द्वारा विचारणीय है जहां मिथ्या साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है।

हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 198 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आप के पास कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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