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आईपीसी की धारा 205 | वाद या अभियोजन में किसी कार्य या कार्यवाही के प्रयोजन से मिथ्या प्रतिरूपण | IPC Section- 205 in hindi | False personation for purpose of act or proceeding in suit or prosecution.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 205 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 205? साथ ही हम आपको IPC की धारा 205 के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

IPC की धारा 205 का विवरण

भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 205 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। जो कोई किसी दूसरे का मिथ्या प्रतिरूपण करेगा और ऐसे धरे हुए रूप में किसी वाद या आपराधिक अभियोजन में कोई स्वीकृति या कथन करेगा, या दावे की संस्वीकृति करेगा, या कोई आदेशिका निकलवायेगा या जमानतदार या प्रतिभू बनेगा या कोई भी अन्य कार्य करेगा, तो वह व्यक्ति धारा 205 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।

आईपीसी की धारा 205 के अनुसार

वाद या अभियोजन में किसी कार्य या कार्यवाही के प्रयोजन से मिथ्या प्रतिरूपण-

जो कोई किसी दूसरे का मिथ्या प्रतिरूपण करेगा और ऐसे धरे हुए रूप में किसी वाद या आपराधिक अभियोजन में कोई स्वीकृति या कथन करेगा, या दावे की संस्वीकृति करेगा, या कोई आदेशिका निकलवायेगा या जमानतदार या प्रतिभू बनेगा या कोई भी अन्य कार्य करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जायेगा।

False personation for purpose of act or proceeding in suit or prosecution-
Whoever falsely personates another, and in such assumed character makes any admission or statement, or confesses judgment, or causes any process to be issued or becomes bail or security, or does any other act in any suit or criminal prosecution, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, or with fine, or with both.

लागू अपराध

वाद या आपराधिक अभियोजन में कोई कार्य या कार्यवाही करने या जमानतदार या प्रतिभू बनने के प्रयोजन के लिए मिथ्या प्रतिरूपण।
सजा- तीन वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना या दोनो।
यह एक जमानतीय, गैर-संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

जुर्माना/सजा (Fine/Punishment) का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 205 के अंतर्गत जो कोई किसी दूसरे का मिथ्या प्रतिरूपण करेगा और ऐसे धरे हुए रूप में किसी वाद या आपराधिक अभियोजन में कोई स्वीकृति या कथन करेगा, या दावे की संस्वीकृति करेगा, या कोई आदेशिका निकलवायेगा या जमानतदार या प्रतिभू बनेगा या कोई भी अन्य कार्य करेगा, तो वह व्यक्ति तीन वर्ष के लिए कारावास या जुर्माने से या दोनो से दंड का भागीदार होगा।

जमानत (Bail) का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 205 अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में जमानतीय (Baileble) है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध जमानतीय होने के कारण जमानत आसानी से मिल जाती है।

अपराधसजाअपराध श्रेणीजमानतविचारणीय
वाद या आपराधिक अभियोजन में कोई कार्य या कार्यवाही करने या जमानतदार या प्रतिभू बनने के प्रयोजन के लिए मिथ्या प्रतिरूपण।तीन वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना या दोनो।गैर-संज्ञेयजमानतीयप्रथम वर्ग के मजिस्ट्रेट द्वारा

हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 205 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आप के पास कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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