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आईपीसी की धारा 213 | अपराधी को दण्ड से प्रतिच्छादित करने के लिए उपहार आदि लेना | IPC Section- 213 in hindi | Taking gift, etc., to screen an offender from punishment.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 213 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 213? साथ ही हम आपको IPC की धारा 213 के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

IPC की धारा 213 का विवरण

भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 213 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। जो कोई अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई परितोषण या अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिये किसी सम्पत्ति का प्रत्यास्थापन, किसी अपराध को छिपाने के लिए या किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए वैध दण्ड से प्रतिच्छादित करने के लिए, या किसी व्यक्ति के विरुद्ध वैध दण्ड दिलाने के प्रयोजन से उसके विरुद्ध की जाने वाली कार्यवाही न करने के लिए, प्रतिफलस्वरूप प्रतिगृहीत करेगा, यदि अपराध मृत्यु से दण्डनीय हो या आजीवन कारावास या कारावास से दण्डनीय हो तो वह धारा 213 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।

आईपीसी की धारा 213 के अनुसार-

अपराधी को दण्ड से प्रतिच्छादित करने के लिए उपहार आदि लेना-

जो कोई अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई परितोषण या अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिये किसी सम्पत्ति का प्रत्यास्थापन, किसी अपराध को छिपाने के लिए या किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए वैध दण्ड से प्रतिच्छादित करने के लिए, या किसी व्यक्ति के विरुद्ध वैध दण्ड दिलाने के प्रयोजन से उसके विरुद्ध की जाने वाली कार्यवाही न करने के लिए, प्रतिफलस्वरूप प्रतिगृहीत करेगा या अभिप्राप्त करने का प्रयत्न करेगा या प्रतिगृहीत करने के लिए करार करेगा;
यदि अपराध मृत्यु से दण्डनीय हो- यदि वह अपराध मृत्यु से दण्डनीय हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा;
यदि आजीवन कारावास या कारावास से दण्डनीय हो- यदि वह अपराध आजीवन कारावास या दस वर्ष तक के कारावास से दण्डनीय हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा;
तथा यदि वह अपराध 10 वर्ष से कम तक के कारावास से दण्डनीय हो, तो वह उस अपराध के लिये उपबन्धित भांति के कारावास से इतनी अवधि के लिये, जो उस अपराध के लिए उपबन्धित कारावास की दीर्घतम अवधि की एक-चौथाई तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जायेगा।

Taking gift, etc., to screen an offender from punishment-
Whoever accepts or attempts to obtain, or agrees to accept any gratification for himself or any other person, or any restitution of property to himself or any other person, in consideration of his concealing an offence or of his screening any person from legal punishment for any offence, or of his not proceeding against any person for the purpose of bringing him to legal punishment;
if a capital offence- shall, if the offence is punishable with death, be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine ;
if punishable with imprisonment for life, or with imprisonment- and if the offence is punishable with imprisonment for life, or with imprisonment which may extend to ten years, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, and shall also be liable to fine :
and if the offence is punishable with imprisonment not extending to ten years, shall be punished with imprisonment of the description provided for the offence for a term which may extend to one-fourth part of the longest term of imprisonment provided for the offence, or with fine, or with both.

लागू अपराध

अपराधी को दण्ड से प्रतिच्छादित करने के लिए उपहार आदि लेना, यदि अपराध मृत्यु से दंडनीय है।
सजा- सात वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना।
यदि आजीवन कारावास या दस वर्ष के लिए कारावास से दंडनीय है।
सजा- तीन वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना।
यदि दस वर्ष से कम के लिए कारावास से दंडनीय है।
सजा- उस दीर्घतम् अवधि की एक चौथाई का कारावास जो उस अपराध के लिए उपबंधित है या जुर्माना या दोनो।
यह एक जमानतीय, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

जुर्माना/सजा (Fine/Punishment) का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 213 के अंतर्गत जो कोई अपराधी को दण्ड से प्रतिच्छादित करने के लिए उपहार आदि लेना, यदि अपराध मृत्यु से दंडनीय है, तो वह सात वर्ष के लिए कारावास और जुर्माने से दंडित किया जायेगा। यदि आजीवन कारावास या दस वर्ष के लिए कारावास से दंडनीय है, तो वह तीन वर्ष के लिए कारावास और जुर्माने से दंडित किया होगा, इसी तरह से यदि दस वर्ष से कम के लिए कारावास से दंडनीय है, तो उस दीर्घतम् अवधि की एक चौथाई का कारावास जो उस अपराध के लिए उपबंधित है या जुर्माना या दोनो से दंडित किया जायेगा।

जमानत (Bail) का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 213 अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में जमानतीय (Baileble) है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध जमानतीय होने के कारण जमानत आसानी से मिल जाती है।

अपराधसजाअपराध श्रेणीजमानतविचारणीय
अपराधी को दण्ड से प्रतिच्छादित करने के लिए उपहार आदि लेना, यदि अपराध मृत्यु से दंडनीय है।सात वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना।संज्ञेयजमानतीयप्रथम वर्ग के मजिस्ट्रेट द्वारा
यदि आजीवन कारावास या दस वर्ष के लिए कारावास से दंडनीय है।तीन वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना।संज्ञेयजमानतीयप्रथम वर्ग के मजिस्ट्रेट द्वारा
यदि दस वर्ष से कम के लिए कारावास से दंडनीय है।उस दीर्घतम् अवधि की एक चौथाई का कारावास जो उस अपराध के लिए उपबंधित है या जुर्माना या दोनो।संज्ञेयजमानतीयप्रथम वर्ग के मजिस्ट्रेट द्वारा

हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 213 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आप के पास कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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