fbpx

आईपीसी की धारा 215 | चोरी की सम्पत्ति इत्यादि के वापस लेने में सहायता करने के लिये उपहार लेना | IPC Section- 215 in hindi | Taking gift to help to recover stolen property, etc.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 215 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 215? साथ ही हम आपको IPC की धारा 215 के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

IPC की धारा 215 का विवरण

भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 215 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। जो कोई किसी व्यक्ति की किसी ऐसी जंगम सम्पत्ति के वापस करा लेने में, जिससे इस संहिता के अधीन दण्डनीय किसी अपराध द्वारा वह व्यक्ति वंचित कर दिया गया हो, सहायता करने के बहाने या सहायता करने की बाबत कोई परितोषण लेगा या लेने का करार करेगा या लेने को सहमत होगा, वह, जब तक कि अपनी शक्ति में के सब साधनों को अपराधी को पकड़वाने के लिये और अपराध के लिये दोषसिद्ध कराने के लिये उपयोग में न लाए, तो वह धारा 215 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।

आईपीसी की धारा 215 के अनुसार-

चोरी की सम्पत्ति इत्यादि के वापस लेने में सहायता करने के लिये उपहार लेना-

जो कोई किसी व्यक्ति की किसी ऐसी जंगम सम्पत्ति के वापस करा लेने में, जिससे इस संहिता के अधीन दण्डनीय किसी अपराध द्वारा वह व्यक्ति वंचित कर दिया गया हो, सहायता करने के बहाने या सहायता करने की बाबत कोई परितोषण लेगा या लेने का करार करेगा या लेने को सहमत होगा, वह, जब तक कि अपनी शक्ति में के सब साधनों को अपराधी को पकड़वाने के लिये और अपराध के लिये दोषसिद्ध कराने के लिये उपयोग में न लाए, दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जायेगा।

Taking gift to help to recover stolen property, etc-
Whoever takes or agrees or consents to take any gratification under pretence or on account of helping any person to recover any movable property of which he shall have been deprived by any offer.ce punishable under this Code, shall, unless he uses all means in his power to cause the offender to be apprehended and convicted of the offence, be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, or with fine, or with both.

लागू अपराध

अपराधी को पकड़वाए बिना उस जंगम संपत्ति को वापस कराने में सहायता करने के लिए उपहार लेना जिससे कोई व्यक्ति अपराध द्वारा वंचित कर दिया गया है।
सजा- दो वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना या दोनो।
यह एक जमानतीय, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

जुर्माना/सजा (Fine/Punishment) का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 215 के अंतर्गत जो कोई किसी व्यक्ति की किसी ऐसी जंगम सम्पत्ति के वापस करा लेने में, जिससे इस संहिता के अधीन दण्डनीय किसी अपराध द्वारा वह व्यक्ति वंचित कर दिया गया हो, सहायता करने के बहाने या सहायता करने की बाबत कोई परितोषण लेगा या लेने का करार करेगा या लेने को सहमत होगा, वह, जब तक कि अपनी शक्ति में के सब साधनों को अपराधी को पकड़वाने के लिये और अपराध के लिये दोषसिद्ध कराने के लिये उपयोग में न लाए, तो वह दो वर्ष के लिए कारावास या जुर्माने से या दोनो से दंडित किया जायेगा।

जमानत (Bail) का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 215 अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में जमानतीय (Baileble) है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध जमानतीय होने के कारण जमानत आसानी से मिल जाती है।

अपराधसजाअपराध श्रेणीजमानतविचारणीय
अपराधी को पकड़वाए बिना उस जंगम संपत्ति को वापस कराने में सहायता करने के लिए उपहार लेना जिससे कोई व्यक्ति अपराध द्वारा वंचित कर दिया गया है।दो वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना या दोनो।संज्ञेयजमानतीयप्रथम वर्ग के मजिस्ट्रेट द्वारा

हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 215 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आप के पास कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

Leave a Comment