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आईपीसी की धारा 372 | वेश्यावृत्ति आदि के प्रयोजन के लिये अप्राप्तवय को बेचना | IPC Section- 372 in hindi| Selling minor for purposes of prostitution, etc.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 372 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 372 के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 372 का विवरण

भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 372 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। जो कोई अठारह वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति को इस आशय से कि ऐसा व्यक्ति किसी आयु में भी वेश्यावृत्ति या किसी व्यक्ति से अयुक्त संभोग करने के लिये या किसी विधिविरुद्ध और दुराचारिक प्रयोजन के लिये काम में लायेगा या उपयोग करेगा, तो वह धारा 372 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।

आईपीसी की धारा 372 के अनुसार

वेश्यावृत्ति आदि के प्रयोजन के लिये अप्राप्तवय को बेचना-

जो कोई अठारह वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति को इस आशय से कि ऐसा व्यक्ति किसी आयु में भी वेश्यावृत्ति या किसी व्यक्ति से अयुक्त संभोग करने के लिये या किसी विधिविरुद्ध और दुराचारिक प्रयोजन के लिये काम में लाया या उपयोग किया जाये या यह सम्भाव्य जानते हुये कि ऐसा व्यक्ति, किसी आयु में भी ऐसे किसी प्रयोजन के लिये काम में लाया जायेगा या उपयोग किया जायेगा, बेचेगा, भाड़े पर देगा या अन्यथा व्ययनित करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जायेगा। और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण 1- जब कि अठारह वर्ष से कम आयु की नारी किसी वेश्या को या किसी अन्य व्यक्ति को, जो वेश्यागृह चलाता हो या उसका प्रबन्ध करता हो, बेची जाये, भाड़े पर दी जाये या अन्यथा व्ययनित की जाये, तब इस प्रकार ऐसी नारी को व्ययनित करने वाले के बारे में, जब तक कि तत्प्रतिकूल साबित न कर दिया जाये, यह उपधारणा की जाएगी कि उसने उसको इस आशय से व्ययनित किया है कि वह वेश्यावृत्ति के लिये उपयोग में लाई जायेगी।
स्पष्टीकरण 2–” अयुक्त सम्भोग” से इस धारा के प्रयोजनों के लिये ऐसे व्यक्तियों में मैथुन अभिप्रेत है जो विवाह से संयुक्त नहीं हैं, या ऐसे किसी संयोग या बन्धन से संयुक्त नहीं हैं जो यद्यपि विवाह की कोटि में तो नहीं आता तथापि उस समुदाय की, जिसके वे हैं या यदि वे भिन्न समुदायों के हैं, तो ऐसे दोनों समुदायों की, स्वीय विधि या रूढ़ि विधि द्वारा उनके बीच में विवाह-सदृश सम्बन्ध अभिज्ञात किया जाता हो।

Selling minor for purposes of prostitution, etc-
Whoever sells, lets to hire, or otherwise disposes of any person under the age of eighteen years with intent that such person shall at any age be employed or used for the purpose of prostitution or illicit intercourse with any person or for any unlawful and immoral purpose, or knowing it to be likely that such person will at any age be employed or used for any such purpose, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine.
Explanation 1- When a female under the age of eighteen years is sold, let for hire, or otherwise disposed of to a prostitute or to any person who keeps or manages a brothel, the person so disposing of such female shall, until the contrary is proved, be presumed to have disposed of her with the intent that she shall be used for the purpose of prostitution.
Explanation 2- For the purpose of this section “illicit intercourse” means sexual intercourse between person not united by marriage, or by any union or tie which, though not amounting to marriage, is recognized by the personal law or custom of the community to which they belong or, where they belong to different communities, of both such communities, as constituting between them a quasi-marital relation.

लागू अपराध

वैश्यावृत्ति आदि, के प्रयोजन के लिए अप्राप्तवय को बेचना या भाड़े पर देना।
सजा- दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना।
यह अपराध एक गैर-जमानतीय और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है।
सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौते योग्य नहीं है।

जुर्माना/सजा (Fine/Punishment) का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 372 के अंतर्गत जो कोई अठारह वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति को इस आशय से कि ऐसा व्यक्ति किसी आयु में भी वेश्यावृत्ति या किसी व्यक्ति से अयुक्त संभोग करने के लिये या किसी विधिविरुद्ध और दुराचारिक प्रयोजन के लिये को बेचेगा या भाड़े पर देगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जायेगा। और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

जमानत (Bail) का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 372 अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में गैर-जमानतीय (Non-Baileble) अपराध की श्रेणी में आते है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध में जमानत नही मिल सकेगी।

अपराधसजाअपराध श्रेणीजमानतविचारणीय
वैश्यावृत्ति आदि, के प्रयोजन के लिए अप्राप्तवय को बेचना या भाड़े पर देना।दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना।संज्ञेयगैर-जमानतीयसेशन न्यायालय द्वारा

हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 372 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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