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आईपीसी की धारा 81 | कार्य, जिससे अपहानि कारित होना सम्भाव्य है, किन्तु जो आपराधिक आशय के बिना और अन्य अपहानि के निवारण के लिए किया गया है | IPC Section- 81 in hindi| Act likely to case harm, but done without criminal intent, and to prevent other harm.

IPC- 81

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 81 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 81 साथ ही हम आपको IPC की धारा 81 सम्पूर्ण जानकारी एवम् परिभाषा इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 81 का विवरण

भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 81 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। कोई कार्य, जिससे अपहानि कारित होना सम्भाव्य है, किन्तु जो आपराधिक आशय के बिना और अन्य अपहानि के निवारण के लिए किया गया है, यदि वह अपहानि कारित करने के किसी आपराधिक आशय के बिना और व्यक्ति या सम्पत्ति को अन्य अपहानि का निवारण या परिवर्जन करने के प्रयोजन से सद्भावपूर्वक की गई हो। वह अपराध की श्रेणी में नही आयेगा। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 81 इसी विषय के बारे में बतलाती है।

आईपीसी की धारा 81 के अनुसार-

कार्य, जिससे अपहानि कारित होना सम्भाव्य है, किन्तु जो आपराधिक आशय के बिना और अन्य अपहानि के निवारण के लिए किया गया है-

कोई बात केवल इस कारण अपराध नहीं है कि वह यह जानते हुए की गई है कि उससे अपहानि कारित होना सम्भाव्य है, यदि वह अपहानि कारित करने के किसी आपराधिक आशय के बिना और व्यक्ति या सम्पत्ति को अन्य अपहानि का निवारण या परिवर्जन करने के प्रयोजन से सद्भावपूर्वक की गई हो।

Act likely to case harm, but done without criminal intent, and to prevent other harm-
Nothing is an offense merely by reason of its being done with the knowledge that it is likely to cause harm, if it be done without any criminal intention to cause harm, and in good faith for the purpose of preventing or avoiding other harm to person or property.

स्पष्टीकरण- ऐसे मामले में यह तथ्य का प्रश्न है कि जिस अपहानि का निवारण या परिवर्जन किया जाना है क्या वह ऐसी प्रकृति की ओर इतनी आसन्न थी कि वह कार्य, जिससे यह जानते हुए कि उससे अपहानि कारित होना सम्भाव्य है, करने की जोखिम उठाना न्यायानुमत या माफी योग्य था।

दृष्टांत

(क) का जो एक बाप्प जलयान का कप्तान है, अचानक और अपने किसी कसूर या उपेक्षा के बिना अपने आपको ऐसी स्थिति में पाता है कि यदि उसने जलयान का मार्ग नहीं बदला तो इससे पूर्व कि वह अपने जलयान को रोक सके वह बीस या तीस यात्रियों से भरी नाव ख को अनिवार्यतः टकराकर डुबो देगा, और कि अपना मार्ग बदलने से उसे केवल दो यात्रियों वाली नाव ग को दुबाने की जोखिम उठानी पड़ती है, जिसको वह सम्भवतः बचाकर निकल जाए। यहाँ यदि क नाव ग को डुबोने के आशय के बिना और ख के यात्रियों के संकट का परिवर्जन करने के प्रयोजन से सद्भावपूर्वक अपना मार्ग बदल देता है तो यद्यपि वह नाव ग को ऐसे कार्य द्वारा टकराकर डुबो देता है। जिससे ऐसे परिणाम का उत्पन्न होना वह सम्भाव्य जानता था, तथापि तथ्यतः यदि यह पाया है कि यह संकट जिसे परिवर्जित करने का उसका आशय था जिससे नाव ग डुबोने की जोखिम उठाना माफी योग्य है, तो वह किसी अपराध का दोषी नहीं है।

(ख) क एक बड़ी अग्निकांड के समय आग को फैलने से रोकने के लिए ग्रहों को गिरा देता है है इस कार्य को मानव जीवन या संपत्ति को बचाने के आशय से सद्भावनापूर्वक करता है यहां, यदि यह पाया जाता है कि निवारण को जाने वाली अपहानि इस प्रकृति की और इतनी आसन्न थी कि क का कार्य माफी योग्य है तो क उस अपराध का दोषी नहीं है।

इस तरह से कोई कार्य, जिससे किसी गंभीर समस्या को रोकने के उद्देश्य से किसी अन्य समस्या से जूझ जाने का जोखिम उठाना न्यायानुमत या माफी योग्य है।

हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 81 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आप के पास कोई सवाल हो,तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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