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अभियुक्त को जमानत का अधिकार एवंम् प्रक्रिया (Right of bail to accused and procedure)

जमानत की परिभाषा (Definition of bail)

Definition of bail जो कोई व्यक्ति किसी के कोई काम करने, समय पर हाज़िर होने, ऋण चुकाने आदि की दूसरे द्वारा ली जानेवाली ज़िम्मेदारी (जैसे—अदालत में मुलजिम की गारण्टी लेता है) उसे जमानती व्यक्ति या गारन्टर कहलाता है। ऐसे मामलो मे जो व्यक्ति गारण्टी लेता है या देता है। जमानत कहलाता है।

जब कोई व्यक्ति किसी लीगल मामलो मे किसी दूसरे व्यक्ति की गारन्टी लेता है और वह व्यक्ति जो किसी व्यक्ति को ऋण दिलाने अथवा किसी न्यायिक न्यायालय मे उपस्थित होने के लिये प्रस्ताव के मुताबिक जिस भी न्यायालय के समक्ष पेश करते है अथवा ऋण चुकाने के लिये जमानत दी है। वह गारन्टर व्यक्ति जिसे जमानत देता है, अर्थात् जो किसी व्यक्ति की गारन्टी लेता है, इसे ही जमानत कहते है।

धारा 41 (1) CrPC के अनुसार, कोई भी पुलिस अधिकारी मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना और बिना किसी वारंट के किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है, यदि यह अपराध संज्ञेय अपराध से संबंधित है।

यहकि किसी अभियुक्त व्यक्ति जिसके कब्जे में कुछ भी पाया जाता है, जिस पर चोरी की संपत्ति होने का संदेह हो सकता है, तो ऐसे मामलो मे भी जमानत लेनी पड़ सकती है। जिसके लिये जमानत के लिए आवेदन देने की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि केवल बेलबाण्ड संख्या-45 (Bail bond- 45) भरकर न्यायालय में पेश करना होता है, और जमानत असानी से मिल जाती है।

जब कोई अभियुक्त किसी मामले में विचाराधीन आपराधिक होते हुए न्यायालय में हाजिर होता हैं, तो बतौर अभियुक्त समन या जमानती वारण्ट पर ही सुनवाई की पहली तारीख पर न्यायालय के समक्ष हाजिर होता हैं, तो सबसे पहले उसे अपने लिए जमानत का आवेदन दाखिल करना चाहिए-

1. जमानती अपराधों (bailable offenses)जैसे मामलो में कानून के तहत मुलजिम अधिकार स्वरूप अपने लिए जमानत की मांग कर सकता है। ऐसे मामलों में आपको जमानत के लिए आवेदन देने की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि केवल बेलबाण्ड संख्या-45 (Bail bond- 45) भरकर न्यायालय में पेश करना होता है।
यदि एक बार अभियुक्त बेलबाण्ड की शर्तों का पालन नहीं करता है यानि बेलबाण्ड में लिखे समय और स्थान पर हाजिर नहीं होता है, तो अगली बार न्यायालय उसकी जमानत याचिका को खारिज कर सकता है। ऐसी स्थिति में अभियुक्त जमानत योग्य अपराध में अधिकारस्वरूप जमानत का हकदार नहीं होता है।

जमानती मामले में अभियुक्त को जमानत उसका अधिकार होता है, जिसे उसे समस्त शर्तो को पूर्ण करने के पश्चात् आसानी से bail ले सकेगा। यदि अभियुक्त किसी मामले में बेल लेने के उपरांत निश्चित समय, स्थान और नियत तिथि पर न्यायालय के समक्ष उपस्थित नही होता है, तो भी उसकी बेल न्यायालय द्वारा निरस्त कर सकता है, इसके अलावा अर्थदंड भी लगाने की शक्ति है।

जमानती अपराध के मामले में यदि कोई अभियुक्त गिरफ्तारी के एक सप्ताह के भीतर किसी व्यक्ति को अपने जमानती के तौर पर पेश करने में असफल रहता है, तो पुलिस और न्यायालय उसे जमानत पेश नहीं कर सकता है। न्यायालय ऐसे किसी भी व्यक्ति को उसी की जिम्मेदारी पर यानि बाण्ड भरने पर जमानत दे सकते है। ऐसी हालत में उसे किसी जमानती की जरूरत नहीं होती है।

2. गैर जमानती अपराधों (Nonbailable offenses) जैसे मामलों में अभियुक्त को अपनी जमानत के लिए न्यायालय के समक्ष आवेदन दाखिल करना पड़ता है। इसके बाद यह न्यायालय पर निर्भर है कि आपको जमानत दी जाएगी या नहीं। यदि जानना चाहते हैं कि कौन-सा अपराध जमानती है और कौन-सा गैर जमानती, तो इसका विस्तारपूर्वक विवरण दण्ड प्रक्रिया संहिता (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर) में दिया गया है।
यदि कोई अपराध विशेष नियमों तथा अधिनियमों के अन्तर्गत आता है, तो जमानत के लिए उस अधिनियम में दिए गए प्रावधानों के अनुसार दरखास्त दी जाती है।

किन परिस्थितियों में न्यायालय जमानत देने से इनकार कर सकता है? (Under what circumstances can the court refuse to grant bail.)

यदि न्यायालय को लगता है कि अभियुक्त द्वारा अपराध किए जाने के पुख्ता सबूत मौजूद हैं और उसके द्वारा किए गए अपराध की सजा फांसी या उम्रकैद है, तो वह अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने से मना कर सकता है।

इसके अलावा यदि न्यायालय अभियुक्त के पूर्व रिकार्ड को देखकर भी निर्णय ले सकती है।

महिलाओं तथा बच्चों के मामलों में जमानत (Bail in cases of women and children.)

यदि किसी 16 साल से कम उम्र के बच्चे या महिला या बीमार या अत्यंत दुर्बल व्यक्ति को किसी गैर जमानती अपराध के मामले में हिरासत में लिया गया है अथवा उसे संदेह के आधार पर हिरासत में लिया गया है, तो न्यायालय उसकी जमानत का आदेश दे सकती है। यदि न्यायालय इस बात से संतुष्ट है कि ऐसे किसी व्यक्ति को जिसकी उम्र 16 साल से कम है या वह महिला या बीमार व्यक्ति है, किन्हीं विशेष कारणों से जमानत देना उचित है, तो वह उसे जमानत दे सकता है।

अग्रिम जमानत (Anticipatory bail)

क्या करें जब पुलिस जांच या अदालती कार्यवाही के दौरान अपको अपनी गिरफ्तारी की आशंका है?

किसी गैर जमानती अपराध के मामले में यदि आपको पुलिस जांच या अदालती कार्यवाही के दौरान अपनी गिरफ्तारी की आशंका है, तो आप गिरफ्तारी से पहले अपने लिए जमानत का आवेदन कर सकते हैं। इसे अग्रिम जमानत कहा जाता है। अग्रिम जमानत की याचिका सेशन जज या उच्च न्यायालय में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 के तहत पेश की जाती है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 SC/ST मामलों में लागू नहीं होगा।
जब भी किसी मामले में अग्रिम जमानत स्वीकृत हो जाती है तो थाना प्रभारी (एस.एच.ओ.) को या गिरफ्तार करने आये कोई दूसरा पुलिस अधिकारी अभियुक्त/आवेदनकर्त्ता को गिरफ्तारी के समय न्यायालय के आदेश में लिखी जमानतनामे की शर्तों के आधार पर जमानत पर रिहा करना होता है।

क्या करें जब दहेज या उत्पीड़न के मामले में किसी अपने या स्वयं अथवा किसी सम्बन्धी को गिरफ्तारी की आशंका हो ?

यदि आपकी पत्नी, पुत्रवधू साली या भाभी ने आपके खिलाफ दहेज, उत्पीड़न और मारपीट का मामला दर्ज कराया है और आपको आशंका है कि पुलिस उस मामले में आपको गिरफ्तार कर सकती है, तो आप न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दाखिल कर सकते हैं। अग्रिम जमानत की सुनवाई करते समय सत्र न्यायालय या उच्च न्यायालय सरकारी वकील के माध्यम से पीड़ित पक्ष और पुलिस की बात सुनकर ही कोई फैसला सुनाता है। न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत देने के बाद थाना प्रभारी (एस.एच.ओ.) या गिरफ्तार करने आया कोई दूसरा पुलिस अधिकारी आपको न्यायालय के आदेशानुसार जमानतना की शर्तों के आधार पर जमानत पर रिहा कर देता है।

बेलबाण्ड यानि जमानतनामा (bail bond)

बेलबाण्ड यानि जमानतनामा एक तरह का आश्वासन है कि जब भी पुलिस या न्यायालय के सम्मुख पेश होने या किसी अन्य व्यक्ति को पेश करने के लिए कहा जाएगा तो आप उस आदेश का पालन करते निर्धारित समय और स्थान पर उपस्थित होंगे या वांछित व्यक्ति को पेश करेंगे। बेलबाण्ड पर आपके अलावा किसी अन्य व्यक्ति को भी यह आश्वासन / गारण्टी देनी होती है कि वह तय तारीख और समय पर आपको सम्बन्धित पुलिस अधिकारी या न्यायालय के सम्मुख पेश करेगा। इसलिए हमेशा ध्यान रखें कि जब भी आप आत्मसमर्पण के लिए पुलिसस्टेशन या न्यायालय में जा रहे हैं और आपको अपनी जमानत के लिए बेलबाण्ड दाखिल करना है, तो किसी व्यक्ति को अपने जमानती के तौर पर अवश्य साथ लेकर जाएं। बेलबाण्ड के छपे हुए नमूने न्यायालय परिसर में विक्रेताओं के पास उपलब्ध रहते हैं। यदि आप बेलबाण्ड पेश करने में असफल हो जाते हैं, तो जांचकर्त्ता पुलिस अधिकारी आपको गिरफ्तार कर सकती है। यदि आप बेलबाण्ड की शर्तों का उल्लंघन करते हैं या बिना किसी कारणवश या छोटे-मोटी वजह से न्यायालय/पुलिस अधिकारी के सम्मुख पेश नहीं होते हैं या पेश होने से मना कर देते हैं, तो आपको जुर्माने की पूरी राशि का भुगतान करना होता है। जुर्माने की यह राशि जमानती आदेश में लिखी बेलबाण्ड की राशि जितनी ही होती है, जो राज्य के खाते में जमा की जाती है। आदेशानुसार आपके न्यायालय में पेश नहीं होनी की स्थिति में आपका जमानती भी बतौर अभियुक्त न्यायालय में पेश नहीं कर पाने का जिम्मेदार हो जाता है और उसे भी जुर्माने की राशि का भुगतान करना पड़ सकता है।

बेलबाण्ड दाखिल करते समय इन महत्त्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए

जब भी किसी अभियुक्त द्वारा जमानत पर रिहाई के लिए, न्यायालय के सम्मुख नियमित रूप से तय तारीख पर पेश होने की गारण्टी के तौर पर, बेलबाण्ड दाखिल किया जाता है तथा किसी जमानती को बतौर गौर करता है कि जो व्यक्ति अभियुक्त की जमानत दे रहा है, उसका आश्वासन पेश किया जाता है, तो न्यायालय सबसे पहले इस बात पर अभियुक्त पर कितना नियंत्रण है तथा क्या वह न्यायालय के निर्देशानुसार अभियुक्त को सुनवाई की तारीख पर न्यायालय में पेश कर पाएगा अथवा नहीं। इसके अतिरिक्त न्यायालय यह भी देखता है कि जमानती की आर्थिक स्थिति जमानत देने लायक है अथवा नहीं। इसलिए जब भी आपको अपनी जमानत के लिए किसी जमानती को न्यायालय में पेश करना हो, तो हमेशा ध्यान रखें कि उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी होनी चाहिए तथा वह न्यायालय को तारीख के दिन और समय पर आपकी नियमित पेशी के लिए संतुष्ट करने वाला होना चाहिए।

जमानत लेने या देने के लिये आवश्यक दस्तावेज

अभियुक्त की जमानत देते समय जमानती को न्यायालय के सामने अपनी पहचान, निवास, रोजगार, वेतन या मजबूत आर्थिक स्थिति दर्शाने वाले दस्तावेज प्रस्तुत करने होते हैं। इन दस्तावेजों में जमानती का फोटोग्राफ, राशनकार्ड, पहचान-पत्र, मतदाता पहचान-पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, पैनकार्ड, मासिक वेतन की रसीद, रोजगारदाता द्वारा दिया गया स्थाई रोजगार तथा वेतन का प्रमाणपत्र, किसान विकास पत्र, लघु या दीर्घावधि जमाराशि की रसीद, बैंक द्वारा दी गई स्थाई जमाराशि यानि फिक्स डिपोजिट की रसीद, जीवन बीमा सम्बन्धित कागजात इत्यादि शामिल हैं। बेलवाण्ड न्यायालय परिसर में विक्रेताओं के पास उपलब्ध रहते हैं। अपनी जमानत के लिए किसी दलाल, नकली जमानती या अज्ञात व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें, क्योंकि यह आपके लिए किसी बड़ी मुसीबत का कारण बन सकता है।

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