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सीआरपीसी की धारा 274 | समन-मामलों और जांचों में अभिलेख | CrPC Section- 274 in hindi| Record in summons-cases and inquiries.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 274 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 274 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 274 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 274 के अन्तर्गत मजिस्ट्रेट के समक्ष विचारित सब समन-मामलों में, धारा 145 से धारा 148 तक की धाराओं के अधीन (जिनके अन्तर्गत ये दोनों धाराएं भी हैं) सब जांचों में, और विचारण के अनुक्रम की कार्यवाहियों से भिन्न धारा 446 के अधीन सब कार्यवाहियों में, मजिस्ट्रेट जैसे-जैसे प्रत्येक साक्षी की परीक्षा होती जाती है, वैसे-वैसे उसके साक्ष्य के सारांश का ज्ञापन न्यायालय की भाषा में तैयार करेगा, परन्तु यदि मजिस्ट्रेट ऐसा ज्ञापन स्वयं तैयार करने में असमर्थ है तो वह अपनी असमर्थता के कारणों को अभिलिखित करने के पश्चात् ऐसे ज्ञापन को खुले न्यायालय में स्वयं बोल कर लिखित रूप में तैयार कराएगा। ऐसे ज्ञापन पर मजिस्ट्रेट हस्ताक्षर करेगा और वह अभिलेख का भाग होगा।

सीआरपीसी की धारा 274 के अनुसार

समन-मामलों और जांचों में अभिलेख-

(1) मजिस्ट्रेट के समक्ष विचारित सब समन-मामलों में, धारा 145 से धारा 148 तक की धाराओं के अधीन (जिनके अन्तर्गत ये दोनों धाराएं भी हैं) सब जांचों में, और विचारण के अनुक्रम की कार्यवाहियों से भिन्न धारा 446 के अधीन सब कार्यवाहियों में, मजिस्ट्रेट जैसे-जैसे प्रत्येक साक्षी की परीक्षा होती जाती है, वैसे-वैसे उसके साक्ष्य के सारांश का ज्ञापन न्यायालय की भाषा में तैयार करेगा ;
परन्तु यदि मजिस्ट्रेट ऐसा ज्ञापन स्वयं तैयार करने में असमर्थ है तो वह अपनी असमर्थता के कारणों को अभिलिखित करने के पश्चात् ऐसे ज्ञापन को खुले न्यायालय में स्वयं बोल कर लिखित रूप में तैयार कराएगा।
(2) ऐसे ज्ञापन पर मजिस्ट्रेट हस्ताक्षर करेगा और वह अभिलेख का भाग होगा।

Record in summons-cases and inquiries-
(1) In all summons-cases tried before a Magistrate, in all inquiries under Sections 145 to 148 (both inclusive), and in all proceedings under Section 446 otherwise than in the course of a trial, the Magistrate shall, as the examination of each witness proceeds, make a memorandum of the substance of his evidence in the language of the Court;
Provided that if the Magistrate is unable to make such memorandum himself, he shall, after recording the reason of his inability, cause such memorandum to be made in writing or from his dictation in open Court.
(2) Such memorandum shall be signed by the Magistrate and shall form part of the record.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 274 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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