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भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 24 | उत्प्रेरणा, धमकी या वचन द्वारा कराई गई संस्वीकृति दाण्डिक कार्यवाही में कब विसंगत होती है | Indian Evidence Act Section- 24 in hindi| Confession caused by inducement, threat or promise, when irrelevant in criminal proceeding.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 24 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 24, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 24 का विवरण

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 24 के अन्तर्गत अभियुक्त व्यक्ति द्वारा की गई संस्वीकृति दाण्डिक कार्यवाही में विसंगत होती है, यदि उसके किए जाने के बारे में न्यायालय को प्रतीत होता हो कि अभियुक्त व्यक्ति के विरुद्ध आरोप के बारे में वह ऐसी उत्प्रेरणा, धमकी या वचन द्वारा कराई गई है जो प्राधिकारवान व्यक्ति की ओर से दिया गया है और जो न्यायालय की राय में इसके लिये पर्याप्त हो कि वह अभियुक्त व्यक्ति को यह अनुमान करने के लिए उसे युक्तियुक्त प्रतीत होने वाले आधार देती है कि उसके करने से वह अपने विरुद्ध कार्यवाहियों के बारे में ऐहिक रूप का कोई फायदा उठायेगा या ऐहिक रूप की किसी बुराई का परिवर्जन कर लेगा।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 24 के अनुसार

उत्प्रेरणा, धमकी या वचन द्वारा कराई गई संस्वीकृति दाण्डिक कार्यवाही में कब विसंगत होती है—

अभियुक्त व्यक्ति द्वारा की गई संस्वीकृति दाण्डिक कार्यवाही में विसंगत होती है, यदि उसके किए जाने के बारे में न्यायालय को प्रतीत होता हो कि अभियुक्त व्यक्ति के विरुद्ध आरोप के बारे में वह ऐसी उत्प्रेरणा, धमकी या वचन द्वारा कराई गई है जो प्राधिकारवान व्यक्ति की ओर से दिया गया है और जो न्यायालय की राय में इसके लिये पर्याप्त हो कि वह अभियुक्त व्यक्ति को यह अनुमान करने के लिए उसे युक्तियुक्त प्रतीत होने वाले आधार देती है कि उसके करने से वह अपने विरुद्ध कार्यवाहियों के बारे में ऐहिक रूप का कोई फायदा उठायेगा या ऐहिक रूप की किसी बुराई का परिवर्जन कर लेगा।

Confession caused by inducement, threat or promise, when irrelevant in criminal proceeding-
A confession made by an accused person is irrelevant in a criminal proceeding, if the making of the confession appears to the Court to have been caused by any inducement, threat or promise, having reference to the charge against the accused person, proceeding from a person in authority and sufficient, in the opinion of the Court, to give the accused person grounds, which would appear to him reasonable, for supposing that by making it he would gain any advantage or avoid any evil of a temporal nature in reference to the proceedings against him.

हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 24 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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